भोपाल लोकसभा सीट पर तीसरे फेज में 7 मई को चुनाव होंगे। BJP-कांग्रेस के अलावा कुल 22 कैंडिडेट मैदान में हैं। इन्हीं में से एक हैं अब्दुल ताहिर खान, जो 1-2 नहीं बल्कि 12 चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पेशे से वकील ताहिर इस चुनाव में अपने 'रजनीकांत' लुक को लेकर भी चर्चा में है। वे रजनीकांत की फिल्म 'काला' के लुक में ही रहते हैं, और सोशल मीडिया से ही वोट मांग रहे हैं।
अब्दुल ताहिर 2 लोकसभा, 2 विधानसभा, 2 महापौर, 3 पार्षद और 3 चुनाव डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के लड़ चुके हैं। पहली बार वे साल 2004 में चुनाव लड़े थे। एक साथ महापौर और पार्षद के चुनाव में किस्मत आजमाई थी, लेकिन हार गए थे। 20 साल बाद अब वे लोकसभा चुनाव में मैदान में हैं। उनका मुख्य मुकाबला बीजेपी के आलोक शर्मा और कांग्रेस के अरुण श्रीवास्तव से हैं। राजनीतिक पार्टी और कुछ निर्दलीयों से भी उनका मुकाबला है।
क्यों लड़ रहे चुनाव?
अब्दुल ताहिर हर चुनाव में मैदान में उतरते हैं, लेकिन अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते। आखिरी चुनाव लड़ने का ऐसा शौक क्यों है? इस सवाल पर वे बताते हैं कि पहले चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट पर पार्षद के लिए मैदान में उतरने वाले थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसलिए वे वार्ड 67 से पार्षद का चुनाव लड़े। चुनाव चिह्न था 'बाल्टी'। हालांकि, ज्यादा वोट नहीं ला पाया, लेकिन चुनाव लड़ने का शौक खत्म हुआ, और न ही जुनून कम हुआ। कभी न कभी तो जीतूंगा, यह सोचकर मैदान में उतर रहा हूं।
चुनाव लड़ने का क्या विजन है?
साल 1984 में भोपाल गैस त्रासदी हुई। हजारों लोग मर गए, जबकि लाखों लोग आज भी गैस त्रासदी का दंश भोग रहे हैं। मुझे ऐसा लगता है कि गैस पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिल सका है। न ही उनकी आवाज संसद तक बुलंद हुई है। इसलिए मैं चुनाव मैदान में उतर रहा हूं। यदि जीतता हूं तो गैस पीड़ितों को सबसे पहले न्याय दिलाऊंगा।
रजनीकांत लुक क्यों रखा?
इस बारे में ताहिर बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान दाढ़ी और सिर के बाल बढ़ गए थे। जब बाल कटवाने दुकान गया तो वहां फिल्म एक्टर रजनीकांत की फिल्म 'काला' टीवी पर चल रही थी। इस फिल्म में जैसा रजनीकांत का लुक था, वैसा ही मेरा लुक भी आ रहा था। इसलिए तभी से यही लुक रख लिया। बालों की स्टाइल, आधी काली-सफेद दादी, चश्मा और बूट ही पहनता हूं। इसी लुक में प्रचार भी कर रहा हूं।
अब तक ये चुनाव लड़ चुके
वकील होने के बावजूद प्रचार कैसे कर रहे?
ताहिर के अनुसार, 8 से 10 दोस्त हैं, जो चुनाव का प्रचार कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ज्यादा फोकस है। इसके माध्यम से ही मतदाताओं तक जा रहे हैं। कुछ वीडियो क्लिपिंग और वाइस रिकॉर्डिंग भी सोशल मीडिया पर भेज रहे हैं। एक प्रचार वाहन से भोपाल और सीहोर भी जाएंगे।
चुनाव लड़े, लेकिन जमानत नहीं बचा सके
हर बार चुनाव लड़ते हैं, रुपयों की व्यवस्था कैसे करते हैं... सवाल पर ताहिर ने बताया कि अब तक चुनावों में जमानत राशि के रूप में 1 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर चुका हूं। हर बार जमानत जब्त होती है, इसलिए राशि वापस भी नहीं होती है। इसकी व्यवस्था मैं अपने खुद के फंड से करता हूं। आमतौर पर लोग शराब, बीड़ी-सिगरेट, पान-गुटखा खाकर हर महीने हजारों रुपए खर्च कर देते हैं। ऐसा कुछ भी मैं नहीं करता। इसलिए कुछ रुपए चुनाव लड़ने के लिए बचाकर रखता हूं। जब चुनाव आते हैं तो राशि जमा कर देता हूं।