लंदन । दुनिया के आधा सैकडा से अधिक देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप पर करीबी नजर रखी जानी चाहिए, लेकिन फिलहाल इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति घोषित करने की आवश्यकता नहीं है। यह कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का। संगठन ने आपातकालीन समिति ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रकोप के कई पहलू 'असामान्य' थे और माना कि मंकीपॉक्स के खतरों पर वर्षों से गौर नहीं किया गया है। हालांकि, समिति ने कहा कि मंकीपॉक्स कुछ अफ्रीकी देशों में अब महामारी नहीं रह गया है। बयान के मुताबिक, 'कुछ सदस्यों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं।
हालांकि, समिति ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक को सर्वसम्मति से यह सुझाव देने का निर्णय लिया है कि मंकीपॉक्स को इस स्तर पर 'वैश्विक आपातकाल की स्थिति' नहीं घोषित करना चाहिए।' हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने प्रकोप की 'आपातकालीन प्रकृति' की तरफ इशारा किया है और कहा है कि इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए 'तेजी से कदम उठाने' की जरूरत है। समिति ने कहा कि प्रकोप पर 'करीबी नजर रखने और कुछ हफ्तों के बाद स्थिति की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है।
' उसने यह भी कहा अगर कुछ नए घटनाक्रम सामने आते हैं- जैसे कि यौनकर्मियों के बीच प्रसार, अन्य देशों में या उन देशों में संक्रमण का फैलना, जहां पहले से ही मंकीपॉक्स के मामले हैं, मामलों की गंभीरता में वृद्धि या प्रसार की बढ़ती दर तो वह फिर से स्थिति का मूल्यांकन करने की सिफारिश करेगी। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधोनोम घेब्रेयेसस ने गुरुवार को उन देशों में मंकीपॉक्स के प्रसार को लेकर चिंता जताने के बाद आपातकालीन समिति की बैठक बुलाई थी, जहां पहले इस महामारी की सूचना नहीं थी।
मंकीपॉक्स के कारण मध्य और पश्चिम अफ्रीका में दशकों से लोग संक्रमित हुए हैं, लेकिन पिछले महीने तक एक ही समय में कई देशों में या प्रभावित मुल्कों की यात्रा न करने वाले लोगों में इस संक्रमण के मामले सामने नहीं आए थे।डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, 'वर्तमान प्रकोप विशेष रूप से नए देशों और क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है और संवेदनशील आबादी के बीच इसके प्रसार का जोखिम बढ़ गया है, जिसमें कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग, गर्भवती महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।'