शिवराज सरकार के 100 दिन पूरे होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया हैं l विस्तार में 28 नए मंत्री बनाए गए हैं l 28 में से 9 मंत्री ज्योतिरादित्य समर्थक है l यानि कहा जा सकता है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया का पूरा था दबदबा रहा l इस दबदबे के कारण बीजेपी ने अपने कुछ कद्दावर और प्रभावी नेताओं की अनदेखी कर दी l जैसे रमेश मेंदोला, राजेंद्र शुक्ला और संजय पाठक l यह तीनों बीजेपी विधायक पार्टी में वजनदारी रखते हैं और अपने अपने क्षेत्रों में बहुत प्रभावी हैं l जहां तक इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला की बात कही जाए तो मेंदोला पूरे मालवा क्षेत्र में सबसे बड़ा नाम है l मेंदोला जैसे नेता को मंत्रिमंडल में शामिल न करके बीजेपी ने मालवा क्षेत्र को नाराज किया है l बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले मालवा की इस तरह की बेइज्जती बीजेपी को भारी पड़ेगी l इतना ही नहीं रमेश मेंदोला कैलाश विजयवर्गीय के लिए खास नेता हैं l कहीं ना कहीं कैलाश विजयवर्गीय को भी नाराज किया गया है l इससे पहले मेंदोला मंत्री बनाए जाने के फुल दावेदार मनाए जा रहे थे l दूसरी तरफ विजय राघोंगढ़ से बीजेपी विधायक संजय पाठक का मंत्री ना बनाए जाना चौंकाने वाला फैसला रहा l संजय पाठक का नाम कांग्रेस सरकार की तख्ता पलट में प्रमुखता से छापा रहा l वर्तमान वर्तमान में संजय पाठक का पार्टी और सरकार में वर्चस्व काफी बढ़ा है l कांग्रेस सरकार की गिराने की प्रक्रिया में संजय पाठक का नाम सुर्खियों में रहा l पूरे समय संजय पाठक पार्टी के साथ खड़े दिखे l इतना ही नहीं संजय पाठक आर्थिक रूप से भी पार्टी की काफी मदद करते रहे हैं l पेशे से व्यवसायी होने के कारण पाठक का आर्थिक साम्राज्य भी बहुत फैला है l यही कारण है कि उन्होंने समय समय पर पार्टी की काफी मदद की है l लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में उनकी जगह निश्चित ना होने में ही समझ से परे है l इसके बाद यदि विंध्य क्षेत्र के विधायक राजेंद्र शुक्ला की बात शुक्ला बीजेपी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता हैं l पूरे विंध्य क्षेत्र में राजेंद्र शुक्ला का सबसे बड़ा नाम है l इससे पहले भी वे बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं l कहा जा सकता है कि राजेंद्र शुक्ला को मंत्रिमंडल में न लेकर बहुत बड़ी भूल की है l जबकि विंध्य क्षेत्र के अनूपपुर में उपचुनाव होने वाला है l ऐसे समय में राजेंद्र शुक्ला जैसे नेता को लूप लाइन में डालना समझदारी नहीं है l
निश्चित तौर पर शिवराज सरकार का यह मंत्रिमंडल विस्तार बहुत चौंकाने वाला रहा l कहा जा सकता है कि यह पूरा विस्तार सिंधिया को साधने वाला रहा और 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर रहा l इस विस्तार में बीजेपी ने इसके अलावा कुछ भी नहीं देखा l जबकि बीजेपी चाहती तो बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं को जरूर एडजस्ट कर सकती थी l लेकिन उसने ऐसा नहीं किया l विश्वस्त सूत्रों का मानना है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कम चलने दी है l वह शायद इस विस्तार से खुश ना तो l पार्टी हाईकमान ने पूरी तरह सिंधिया को खुश करने का काम किया है l प्रदेश स्तर पर क्या होना चाहिए क्या नहीं इस पर ध्यान ही नहीं दिया है l खैर जो भी हुआ वह काफी हद तक ठीक नहीं कहा जा सकता l मंत्रिमंडल के गठन में क्षेत्रीय असंतुलन होना बहुत आवश्यक है l वही प्रभावी नेता के वर्चस्व का भी ध्यान रखना जरूरी है l अब देखते हैं कि उपचुनाव के बाद सरकार की क्या स्थिति बनती है l असली कैबिनेट तो उपचुनावों के बाद ही बनेगी l कब तक सबको इंतजार करना होगा l
एडिटर ज़गत विज़न