बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (बीयू) को मल्टीडिसिप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (मेरू) के तौर पर डेवलप किया जाना प्रस्तावित है। इस काम पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत विश्वविद्यालय को छात्र और फैकल्टी के एक्सपोजर सहित 44 कंपोनेंट पर काम करना होगा। लेकिन यूनिवर्सिटी के सामने बड़ी चुनौती अपने ही कैंपस में छात्रों को गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने की है।
संसाधन और अधोसंरचना उपलब्ध होने के बाद भी विवि अकादमिक तरक्की तब तक पूरा नहीं करा पाएगा, जब तक फैकल्टी की कमी दूर नहीं होती है। बीयू में वर्तमान में 66 प्रतिशत पद खाली हैं। ये पद कब भरे जाएंगे, इसको लेकर बीयू के पास कोई ठोस प्लान भी नहीं है।
बीयू में 10 साल से असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर के पद भरने के लिए सीधी भर्ती नहीं निकली है। 2014 में कुलपति एमडी तिवारी के समय सीधी भर्ती निकाली गई थी। भर्ती पर विवाद के कारण विवि में धारा 52 लगी। इसके बाद डॉ. आरजे राव नियमित कुलपति रहे। इनके समय सीधी भर्ती नहीं निकली। अब प्रो. एसके जैन को दो साल हो चुके हैं, पर भर्ती की तैयारी नहीं है।
टीचिंग डिपार्टमेंट में 124 पद, इनमें से 43 ही भरे
100 करोड़ की घोषणा लेकिन अब तक मिला कुछ नहीं...
बीयू का चयन मेरू के लिए करने का अप्रूवल फरवरी 2024 में हुआ। 100 करोड़ रुपए मिलने की घोषणा हुई, लेकिन बीयू को अब तक 1 रुपया भी नहीं मिला है। यह पैसा मार्च 2026 तक खर्च करना है। 100 करोड़ में से बीयू को सीधे तौर पर 15 करोड़ रुपए मिलने हैं। इसमें वर्कशॉप, सेमिनार, होने हैं, लेकिन ये भी बीयू खुद के खर्चे से करा रहा है।
उपकरण और भवन निर्माण के लिए नहीं हुए टेंडर...
मेरू के तहत रिसर्च वर्क के लिए आधुनिक उपकरण खरीदे जाने हैं। विवि द्वारा स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टोरेट (एसपीडी) को उपकरण की लिस्ट भेजी जा चुकी है। अभी तक खरीदी के लिए टेंडर भी जारी नहीं हुए हैं। उपकरण के अलावा भवन निर्माण और रिनोवेशन के लिए भी बीयू द्वारा रिक्वॉयरमेंट लिस्ट भेजी जा चुकी है। अब तक कुछ नहीं हुआ।
फैकल्टी पद भरने के लिए प्रक्रिया शुरू करेंगे फैकल्टी के पद भरने के लिए जल्द प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पीएससी के माध्यम से भर्ती के लिए भी चर्चा चल रही है। मेरू के लिए कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।-प्रो. एसके जैन, कुलगुरु, बीयू
केंद्र सरकार से राशि प्राप्त होने पर ग्रांट जारी की जाएगी। सभी विश्वविद्यालयों को पूर्व में ही रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए जा चुके हैं।-अनुपम राजन, एसीएस, उच्च शिक्षा विभाग