दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आई CAG रिपोर्ट का मुद्दा अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। 7 भाजपा विधायकों ने CAG की रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा करवाने की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई थी, जिस पर सोमवार को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।
जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने कहा- CAG रिपोर्ट पर विचार करने में जिस तरह से दिल्ली सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे इनकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है। दिल्ली सरकार को CAG रिपोर्ट को तुरंत स्पीकर को भेजना था और सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CAG रिपोर्ट में दिल्ली की शराब नीति का मामला भी है। दिल्ली में 2021 में नई शराब नीति लागू की गई थी। इसमें लाइसेंस आवंटन को लेकर कई सवाल खड़े हुए। नीति वापस लेनी पड़ी। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। दोनों जेल भी गए। CM और डिप्टी CM पद छोड़ना पड़ा। फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
भाजपा नेता बोले- स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने को कहें
11 जनवरी को दिल्ली सरकार के फैसलों को लेकर CAG की रिपोर्ट लीक हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें शराब नीति के फैसले सहित 14 मामले हैं। इसमें शराब नीति को लेकर सरकार को 2026 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस होने की बात कही गई थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि शराब नीति में काफी गड़बड़ियां थीं, जिनमें लाइसेंस देने में खामी भी शामिल है।
दिल्ली विधानसभा के सेक्रेटेरियट ने कहा- विधानसभा का कार्यकाल खत्म ही होने वाला है, इसलिए इस कार्यकाल में रिपोर्ट को लाने में फायदा नहीं है। भाजपा विधायक के वकील विजेंद्र गुप्ता ने कहा- सदन के सदस्य के तौर पर रिपोर्ट पर बहस करना हमारा अधिकार है।
गुप्ता ने ये भी कहा- हम चाहते हैं कि स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने का निर्देश दिया जाए। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह स्पीकर को तत्काल आदेश नहीं दे सकता और फाइनल फैसला लेने से पहले दोनों पक्षों को सुनना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि मामले पर आज दोपहर 2:30 बजे सुनवाई करेंगे।
CAG रिपोर्ट में शराब नीति को लेकर क्या-क्या ...
आप सरकार ने नई शराब नीति को रद्द करने के फैसले में न कैबिनेट की मंजूरी ली और न उपराज्यपाल से राय मांगी।
कोविड प्रतिबंधों के कारण जनवरी 2022 के लाइसेंस शुल्क के रूप में 144 करोड़ रुपए की छूट रिटेल लाइसेंस धारियों को कैबिनेट की मंजूरी लिए बिना दी गई।
जिन वार्ड में शराब खोलने की अनुमति नहीं थी। वहां भी शराब की दुकान के लाइसेंस बांटे गए। ये फैसला भी उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिया गया।
डिप्टी चीफ मिनिस्टर जिस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की अगुआई कर रहे थे, उसने एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था।
कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी थी और कई अहम फैसलों पर तब के उप-राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतों के बावजूद सभी को नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई थी। जिन्हें घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिए गए या रिन्यू कर दिए गए थे।
21 दिसंबर को LG ने केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी
पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ ED ने इस साल मार्च में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। 21 मार्च को 4 घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को अरेस्ट किया गया था। केजरीवाल को इस केस में जमानत मिल गई थी, लेकिन ED ट्रायल शुरू नहीं कर पाई थी।
दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दे दी थी। ED ने 5 दिसंबर को एलजी से केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी थी।