मप्र हाई कोर्ट ने बुधवार को नीट पीजी में एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) कोटे की सीटें भरने पर अंतरिम रोक लगाई। इस बीच, भास्कर पड़ताल में सामने आया कि मप्र के निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे के तहत दाखिलों में बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है। एमबीबीएस की जो सीटें सबसे काबिल छात्रों को मिलनी चाहिए थी, उसे सबसे पैसे वालों के लिए आरक्षित किया जा रहा है।
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की नीट यूजी काउंसलिंग-2024 के रिजर्वेशन चार्ट के मुताबिक, इसी साल प्रदेश के 13 निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई उम्मीदवारों के लिए 381 सीटें (15%) आरक्षित हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद दूसरी और तीसरी राउंड की काउंसलिंग में एनआरआई स्पॉन्सर्ड कोटे से 332 छात्रों को प्रवेश दिए गए। यानी ऐसे छात्रों को प्रवेश दिए गए, जिनके दूर के रिश्तेदार एनआरआई हैं।
हर एमबीबीएस में एनआरआई कोटे की फीस 27 लाख रुपए से लेकर 50 लाख रु./वर्ष तक है। उज्जैन के आरडी गार्डी कॉलेज की फीस 27 लाख रु. सालाना, भोपाल के एलएन मेडिकल कॉलेज की फीस 49.74 लाख रु. है।
‘माया’जाल : एक्ट में बदलाव कर दूर के रिश्तेदारों को प्रवेश का प्रावधान जोड़ा
एनआरआई के प्रवेश को लेकर 2007 में राज्य सरकार ने एक्ट बनाया। मध्यप्रदेश के निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थान अधिनियम, 2007 के तहत ऐसे व्यक्ति जो भारत का निवासी नहीं है या फिर माता-पिता या दादा-दादी अभिभाज्य भारत यानी पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि के निवासी हैं, सिर्फ इन्हें ही एनआरआई कोटे का लाभ मिल सकता है।
फिर बदलाव... 9 मार्च 2018 को प्रवेश नियमों में बदलाव कर एनआरआई की परिभाषा बदल दी गई। इसके तहत अनिवासी भारतीय के फर्स्ट डिग्री ब्लड रिश्तेदार या उन पर आश्रितों को भी प्रवेश की सहूलियत दे दी गई। यानी विदेश में बसे दूर के रिश्तेदारों जैसे मामा, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, दादा-दादी को भी शामिल कर लिया गया। इसकी प्रामाणिकता सिर्फ शपथ-पत्र के आधार पर तय की गई। इससे रिश्तेदारों की नकली वंशावली और दस्तावेजों के आधार पर प्रवेश मिलना शुरू हो गया।
दूसरी बार बदलाव... आपत्ति हुई तो 2 जुलाई 2024 को गुपचुप तरीके से इसमें संशोधन कर दिया गया। इसमें फिर से वही प्रावधान कर दिए गए, जो 2007 के मूल एक्ट में थे। यानी दूर के रिश्तेदारों के एनआरआई कोटे पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
डीएमई 10 दिन में भी नहीं बता पाए संशोधन
9 दिसंबर... सुप्रीम कोर्ट का आदेश अभी हमें प्राप्त नहीं हुआ है। आदेश आएगा तो इसका विश्लेषण कराकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
19 दिसंबर... गजट में अगर कोई संशोधन हुए हैं तो हम इसे काउंसलिंग कमेटी में रखकर परीक्षण करा लेते हैं। फिर निर्णय लेंगे।' -डॉ. एके श्रीवास्तव, संचालक, चिकित्सा शिक्षा