नासा का आर्टेमिस-1 मिशन हुआ पोस्टपोन:रॉकेट के 4 में से एक इंजन में खराबी,
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का आर्टेमिस-1 मून मिशन पोस्टपोन हो गया है। रॉकेट के चार में से एक इंजन में आई खराबी के कारण इसकी लॉन्चिंग के लिए चल रहे काउंटडाउन को कुछ देर पहले रोक दिया गया। रॉकेट की लॉन्चिंग भारतीय समयानुसार सोमवार शाम 6.03 बजे होनी थी। सब कुछ ठीक रहा तो अब लॉन्चिंग 2 सितंबर को रात 10.18 बजे होगी।
दशकों से हो रही नासा के ह्यूमन मून मिशन में देरी
आर्टेमिस-1 मिशन का लक्ष्य क्या है?
आर्टेमिस-1
एक मानवरहित मिशन है। पहली फ्लाइट के साथ वैज्ञानिकों का लक्ष्य यह जानना
है कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद पर सही हालात हैं या नहीं। साथ ही
क्या एस्ट्रोनॉट्स चांद पर जाने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौट सकेंगे या
नहीं।
नासा के मुताबिक नया SLS मेगा रॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल चंद्रमा पर पहुंचेंगे। आमतौर पर क्रू कैप्सूल में एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं, लेकिन इस बार यह खाली रहेगा। ये मिशन 42 दिन 3 घंटे और 20 मिनट का है, जिसके बाद कैप्सूल धरती पर वापस आ जाएगा। स्पेसक्राफ्ट कुल 20 लाख 92 हजार 147 किलोमीटर का सफर तय करेगा।
तीन पॉइंट्स में समझिए पूरा आर्टेमिस मिशन
1. यूनिवर्सिटी
ऑफ कोलोराडो बोल्डर के प्रोफेसर और वैज्ञानिक जैक बर्न्स का कहना है कि
आर्टेमिस-1 का रॉकेट 'हैवी लिफ्ट' है और इसमें अब तक के रॉकेट्स के मुकाबले
सबसे शक्तिशाली इंजन लगे हैं। यह चंद्रमा तक जाएगा, कुछ छोटे सेटेलाइट्स
को उसके ऑर्बिट (कक्षा) में छोड़ेगा और फिर खुद ऑर्बिट में ही स्थापित हो
जाएगा।
2. 2024 के आसपास आर्टेमिस-2 को लॉन्च करने की प्लानिंग है। इसमें कुछ एस्ट्रोनॉट्स भी जाएंगे, लेकिन वे चांद पर कदम नहीं रखेंगे। वे सिर्फ चांद के ऑर्बिट में घूमकर वापस आ जाएंगे। हालांकि इसका टाइम पीरियड ज्यादा होगा।
3.
इसके बाद फाइनल मिशन आर्टेमिस-3 को रवाना किया जाएगा। इसमें जाने वाले
अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर उतरेंगे। यह मिशन 2030 के आसपास लॉन्च किया
जा सकता है। पहली बार महिलाएं भी ह्यूमन मून मिशन का हिस्सा बनेंगी।
बर्न्स के मुताबिक पर्सन ऑफ कलर (श्वेत से अलग नस्ल का व्यक्ति) भी क्रू
मेम्बर होगा। सभी लोग चंद्रमा के साउथ पोल में जाकर पानी और बर्फ की खोज
करेंगे।
आर्टेमिस मिशन की लागत कितनी?
नासा ऑफिस ऑफ द
इंस्पेक्टर जनरल के एक ऑडिट के अनुसार, 2025 तक इस प्रोजेक्ट पर 93 बिलियन
डॉलर यानी 7,434 अरब रुपए का खर्चा आएगा। वहीं, हर फ्लाइट 4.1 बिलियन डॉलर
यानी 327 अरब रुपए की पड़ेगी। वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक,
मिशन को लॉन्च करने से पहले की लागत ही 876 मिलियन डॉलर (70 अरब रुपए) से 2
बिलियन डॉलर (159 अरब रुपए) के बीच है।