भोपाल। पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने राज्य संग्रहालय में डॉ. साधना गंगराड़े द्वारा लिखित पुस्तक "मन का मोगरा" का विमोचन किया। यह पुस्तक पारस्परिक रिश्तों, पर्वों, परंपराओं, संस्कारों, जीवन-मूल्यों और सामाजिक ताने-बाने पर आधारित ललित निबंधों का संकलन है।
समाज के मूल्यों को सहजती है नारी- मंत्री सुश्री ठाकुर
मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि जिस तरह साहित्य समाज का दर्पण होता है, उसी तरह नारी समाज के मूल्यों को सहेजती है। नारी ही समाज के आदर्श और मूल्य भावी पीढ़ी को सौंपती है। डॉ. साधना द्वारा लिखी पुस्तक देश की सत्य सनातन परंपरा की रीढ़ संयुक्त परिवार में नारी की संस्कारित और परिवार को एक सूत्र में बांधने की शक्ति को दर्शाती है। साथ ही भारतीय नारी का शील, चरित्र और पवित्रता को समाज में पुनर्स्थापित करती है।
सुश्री ठाकुर ने सभी से पर्यावरण की शुद्धि के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त अग्निहोत्र की दो आहुतियाँ डालने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर, घी, अक्षत और गुड़ के अग्निहोत्र से उत्पन्न औषधि युक्त धुआँ पर्यावरण के प्रदूषण और हानिकारक जीवाणुओं को समाप्त करेगा। मंत्री सुश्री ठाकुर ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' पर सभी से आग्रह किया कि अपने-अपने घर की बैठकों में वीर महापुरुषों, वीरांगनाओं और क्रांतिकारियों के चित्र लगाएँ। ये चित्र घर के सदस्यों में चित्त का निर्माण कर सदगुणों का संचार करेंगे।
सामाजिक ताने-बाने को सहेजती है "मन का मोगरा" मंत्री श्री सारंग
मंत्री श्रीविश्वास सारंग ने कहा कि "मन का मोगरा" पुस्तक सामाजिक ताने-बाने को सहेजती है। यह संयुक्त परिवार के मूल्य और आदर्श को समाज के सामने लाती है। यह भावी पीढ़ी की प्रेरणा स्रोत है। देश की वर्तमान समस्या हमारी सांस्कृतिक विरासत का खतरे में होना है। भारतीय नारी ही संस्कृति को बचाती हैं। माँ, बहन, पत्नी आदि रूपों में नारी ही संस्कृति के उच्च आदर्श का वाहक बन समाज में सदगुणों का संचार करती है। पुस्तक की लेखिका स्वयं 27 सदस्यों के संयुक्त परिवार में रहती हैं। तीन पीढ़ी वाले संयुक्त परिवार को उन्होंने संभाला है और एक सूत्र में बांधा है। उनके द्वारा लिखी गई यह पुस्तक नारी के विभिन्न रूपों को आदर्श रूप में समाज के सामने लाती है।
मंत्री द्वय के लेखिका डॉ. साधना गंगराड़े को प्रत्साहित करते हुए सामाजिक विषयों पर आगामी पुस्तक लेखन के लिए शुभकामनाएँ भी दी। निदेशक साहित्य अकादमी डॉ. विकास दवे, अध्यक्ष हिन्दी लेखिका संघ श्रीमती अनीता सक्सेना, वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार यतीन्द्र नाथ राही, पूर्व अध्यक्ष हिन्दी लेखिका संघ श्रीमती उषा जायसवाल, डॉ. प्रीति प्रवीण खरे और श्रीमती शशि बंसल सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थें।