इमरान और उनकी पार्टी PTI ने ही चीफ इलेक्शन कमिश्नर सिकंदर सुल्तान राजा को अपॉइंट किया था। जब तक उनके पक्ष में फैसले आते रहे, तब तक सब ठीक था। अब जबकि फॉरेन फंडिंग केस का फैसला आ रहा है तो इमरान इन्हीं सुल्तान को भ्रष्ट और बेवकूफ बताकर हटाने की मांग कर रहे हैं। राजा के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट में केस भी दायर किया गया। कोर्ट ने इसे सुनवाई के काबिल ही नहीं माना।
4 साल में इलेक्शन कमीशन ने इस केस की 95 सुनवाई कीं। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सबूत के तौर पर 8 डॉक्यूमेंट्स कमीशन को दिए। ‘डॉन न्यूज’ के मुताबिक, कुछ भारतीयों के नाम भी चंदा देने वालों की लिस्ट में शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि कमीशन ने 16 बार इमरान और PTI से बेगुनाही के सबूत मांगे, लेकिन वो ये नहीं दे सके।
क्या है फॉरेन फंडिंग केस
- यह मामला शुरू तो 2010 से होता है। उस वक्त इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) जड़ें जमा रही थी। इमरान खुद कह चुके हैं कि उस दौर में उनके पास पार्टी चलाने के लिए पैसा नहीं था और दोस्त मदद करते थे।
- 2014 में PTI के फाउंडर मेंबर्स में से एक अकबर एस बाबर ने आरोप लगाया कि PTI को दूसरे देशों से काफी ब्लैक मनी मिल रही है और इसकी जांच होनी चाहिए।
- पाकिस्तान के कानून के हिसाब से कोई भी पॉलिटिकल पार्टी किसी भी तरीके से इलेक्शन या पार्टी चलाने के लिए दूसरे देशों से फंड्स नहीं ले सकती।
- दाल में कुछ काला था। यही वजह है कि इलेक्शन कमीशन ऑफ पाकिस्तान ने इसकी सुनवाई शुरू की। हैरानी की बात यह है कि इमरान जब सत्ता में आए तो इस मामले की सुनवाई रोकने के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट में 9 पिटीशंस दायर कीं। 52 बार उन्हें स्टे के तौर पर कामयाबी भी मिली।