बर्लिन। यू्क्रेन में जारी रूसी हमले के बीच फिनलैंड और स्वीडन को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की सदस्यता देने से तटस्थ या गुटनिरपेक्ष यूरोपीय देशों की सूची सिमट जाएगी। यूक्रेन में रूसी हमले को लेकर सुरक्षा चिंताओं ने फिनलैंड और स्वीडन के रूख को बदल दिया है, जो लंबे समय से गुटनिरपेक्षता का समर्थन करते आए हैं।
इन दोनों देशों ने अन्य तटस्थ देशों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। फिनलैंड ने रविवार को घोषणा की कि वह नाटो में शामिल होना चाहता है, जबकि स्वीडन भी जल्दी ही ऐसा ही निर्णय ले सकता है, क्योंकि दोनों नॉर्डिक देशों में जनता की राय नाटो सदस्यता के पक्ष में बढ़ गई है। यूरोपीय संघ के सदस्य बाहरी हमले के मामले में एक-दूसरे के बचाव में आने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन प्रतिबद्धता अभी काफी हद तक कागजों तक सीमित है।
ताकतवर नाटो की मौजूदगी के कारण यूरोपीय संघ अपना खुद का सामूहिक रक्षा गुट नहीं बना सका है। हालांकि, तुर्की अब भी फिनलैंड और स्वीडन की नाटो सदस्य बनने की महत्वाकांक्षाओं पर पानी फेर सकता है। स्विट्जरलैंड ने अपने संविधान में तटस्थता को सुनिश्चित किया है। स्विस मतदाताओं ने दशकों पहले यूरोपीय संघ से बाहर रहने का फैसला किया था। इस बात की कम संभावना है कि स्विट्जरलैंड अपनी तटस्थता से भटकेगा। इसकी सरकार ने पहले ही जर्मनी को स्विस सैन्य उपकरणों को यूक्रेन नहीं भेजने के लिए कहा है। ऑस्ट्रिया के आधुनिक लोकतंत्र की मुख्य विशेषता तटस्थता है। वर्ष 1955 में दोबारा स्वतंत्रता हासिल करने के बाद ऑस्ट्रिया ने खुद को सैन्य रूप से तटस्थ घोषित किया। यूक्रेन-रूस युद्ध की शुरुआत के बाद से चांसलर कार्ल नेहमर ने ऑस्ट्रिया की स्थिति के संबंध में एक अच्छा संतुलन बनाया है। उन्होंने कहा है कि देश की अपनी सुरक्षा स्थिति को बदलने की कोई योजना नहीं है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि सैन्य तटस्थता का मतलब नैतिक तटस्थता नहीं है और ऑस्ट्रिया यूक्रेन में रूस के कृत्यों की कड़ी निंदा करता है। आयरलैंड के तटस्थता संबंधी रूख को लेकर लंबे समय से अनिश्चितता बरकरार है। प्रधानमंत्री माइकल मार्टिन ने इस साल की शुरुआत में देश की स्थिति को बताते हुए कहा था हम राजनीतिक रूप से तटस्थ नहीं हैं, लेकिन हम सैन्य रूप से तटस्थ हैं। पिछले दशक के दौरान अमेरिका और साइप्रस के बीच संबंधों में काफी प्रगाढ़ता आई है, लेकिन अभी तक साइप्रस ने नाटो में शामिल होने का इरादा नहीं व्यक्त किया है। इस देश के राष्ट्रपति ने शनिवार को कहा कि अभी इस तरह के कदम के बारे में सोचना बहुत जल्दबाजी होगी।