एलन मस्क की स्टारलिंक को देना होगा स्पेक्ट्रम टैक्स! जानें आप पर क्या पड़ेगा असर, इंटरनेट सर्विस महंगी होगी या नहीं?
Updated on
18-03-2025 04:10 PM
नई दिल्ली: एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक (Starlink) भारत में आने के लिए तैयार है। कंपनी ने इंटरनेट सर्विस देने के लिए जियो और एयरटेल के साथ हाथ मिलाया है। अगर आप स्टारलिंक की इंटरनेट सर्विस का इंतजार कर रहे हैं तो इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। अगर ऐसा होता है तो इसका बड़ा कारण स्पेक्ट्रम टैक्स होगा।
दरअसल, स्टारलिंक को भारत में स्पेक्ट्रम टैक्स देना पड़ सकता है। कुछ साल पहले रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियों के लिए यह टैक्स हटा दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि अगर यह टैक्स लगाया जाता है तो स्टारलिंक की सर्विस भारत में महंगी हो जाएगी। यह अमेरिकी सैटेलाइट कंपनी के लिए एक और मुश्किल होगी। कंपनी नियमों पर बातचीत कर रही है।
कितना देना होगा टैक्स?
सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि स्टारलिंक को टेलीकॉम की एयरवेव्स मिलेंगी। यह आवंटन नए टेलीकॉम कानून के हिसाब से होगा, जो दिसंबर 2023 में पास हुआ था। इसके लिए स्टारलिंक को अपने कमाई का लगभग 3% स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) देना होगा। एक सूत्र ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी से नहीं मिलेगा, बल्कि सरकार देगी। इसलिए SUC लगेगा। अभी इसकी दरें तय हो रही हैं। सभी टेलीकॉम कंपनियों को 8% लाइसेंस फीस देनी होती है। इसके अलावा सैटेलाइट कंपनियों को स्पेक्ट्रम के लिए अलग से चार्ज देना होगा। सूत्र ने यह भी कहा कि यह 3% से ज्यादा भी हो सकता है, लेकिन अभी इस पर बात चल रही है।
ट्राई कर रही काम
सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमत, उसकी अवधि और टैक्स से जुड़े मामलों पर ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) काम कर रही है। सूत्रों का कहना है कि ट्राई इस नतीजे पर पहुंची है कि सैटेलाइट कंपनियों को SUC देना चाहिए। क्योंकि उन्हें स्पेक्ट्रम एक तय कीमत पर मिलेगा। एक सूत्र ने यह भी कहा कि ट्राई में बातचीत के बाद यह तय हुआ है कि सैटेलाइट कंपनियों को SUC देना होगा। क्योंकि उन्हें स्पेक्ट्रम सरकार देगी, नीलामी से नहीं।
ट्राई जल्द ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन पर अपनी राय सरकार को देगी। इसके बाद DoT (डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम) इस पर विचार करेगा। DoT को अगर कुछ पूछना होगा तो वह ट्राई से पूछेगा। जब DoT संतुष्ट हो जाएगा तो वह इस मामले को डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन (DCC) के पास भेजेगा। DCC की मंजूरी के बाद इसे कैबिनेट के पास भेजा जाएगा।
दूसरे ऑपरेटर्स पर भी लगेगा टैक्स
जून 2022 में सरकार ने एक फैसला लिया था। इसमें कहा गया था कि 15 सितंबर 2021 के बाद जो स्पेक्ट्रम नीलाम हुए हैं, उन पर SUC नहीं लगेगा।
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