कराची । चीन की विस्तावादी नीतियों और उसके सांस्कृतिक प्रभाव को फैलाने के इरादों को तगड़ा झटका लगा है। कराची शहर में 3 चीनी शिक्षकों की बलूच विद्रोहियों के आत्मघाती हमले में हत्या करने के बाद अब चीन ने अपने सभी शिक्षकों को पाकिस्तान से वापस बुला लिया है। चीन के ये शिक्षक पाकिस्तान के कई शहरों में खुले कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट में पढ़ा रहे थे। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन ने दुनियाभर में जासूसी और सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ाने के लिए कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट खोल रखे हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कराची में कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर नसीरउद्दीन ने बताया कि चीनी शिक्षक अपने देश लौट गए हैं। उन्होंने बताया कि न केवल कराची से बल्कि पूरे पाकिस्तान में प्रत्येक कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट से चीनी शिक्षक वापस बुला लिए गए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि चीनी टीचर चले भले गए हैं लेकिन इंस्टीट्यूट को बंद नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंदारिन भाषा पढ़ाने के लिए पाकिस्तानी शिक्षकों से मदद मांगी गई है।
नसीरउद्दीन ने बताया कि इस इंस्टीट्यूट में 500 स्टूडेंट चीनी भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं। इस इंस्टीट्यूट को साल 2013 में कराची इंस्टीट्यूट और चीन के सिचुआन नार्मल यूनिवर्सिटी ने संयुक्त रूप से स्थापित किया था। इंस्टीट्यूट का दावा है कि वह एक गैर लाभकारी शैक्षिक संस्था है जिसमें मंदारिन भाषा की पढ़ाई होती है। साथ ही चीनी संस्कृति और चीन तथा पाकिस्तान के लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा दिया जाता है।
इस बीच विशेषज्ञों के मुताबिक चीन कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट के जरिए दुनियाभर में सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही इसके जरिए चीन उस देश के चर्चित विश्वविद्यालय में हो रहे शोध और अन्य तकनीकों के विकास पर नजर रखता है। इससे जासूसी को भी बढ़ावा देने की भी खबरें आई हैं और यही वजह है कि भारत ने चीनी इंस्टीट्यूट को लेकर बहुत सख्त नियम बना दिए हैं। इससे पहले गत 26 अप्रैल को बुर्का पहनी बलूच आत्मघाती महिला ने खुद को उड़ा दिया था जिसमें 3 चीनी शिक्षक मारे गए थे और 4 अन्य घायल हो गए थे। ये शिक्षक कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट में पढ़ाने के लिए चीन से आए थे।