नई दिल्ली। रीवा पावर संयंत्र दिल्ली मेट्रो के कुल बिजली खपत का 32 फीसदी जरूरत पूरा करेगा। देश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र से दिल्ली मेट्रो 99 मेगावाट बिजली खरीदने का करार किया है। जिससे मेट्रो परिचालन के साथ स्टेशनों पर अन्य सुविधाओं के लिए प्रयोग किया जाएगा। रीवा से पूरा सौर ऊर्जा मिलने के बाद मेट्रो के पास सौर ऊर्जा की क्षमता 132 मेगावाट हो जाएगा। दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क 389 किलोमीटर हो चुका है। मेट्रो का परिचालन से लेकर अन्य कामों में सालाना बिजली खपत करीब 280 से 300 मेगावाट के बीच है। अब इसमें 99 मेगावाट की आपूर्ति रीवा से होगी जो कि कुल खपत का 32 फीसदी है। मेट्रो को यह सौर ऊर्जा बिजली 3.30 रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से मिलेगी। यह बिजली के दामों से काफी सस्ता है। मेट्रो को बिजली की दरें 6.25 रूपये प्रति यूनिट पड़ता है। समझौते के तहत मेट्रो रीवा से यह सौर ऊर्जा अगले 25 सालों तक लेगी। मेट्रो को 3.30 पैसे प्रति यूनिट की लागत आएगी। 99 मेगावाट से मेट्रो को रोजाना करीब 41 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। अभी कुल बिजली खपत का 30% खर्च मेट्रो परिचालन पर होता है। रीवा पावर प्लांट से पूरी आपूर्ति मिलने के बाद अब मेट्रो के पास कलु 132 मेगावाट सौर ऊर्जा होगा। रीवा से मिलने वाले 99 मेगावाट के अलावा दिल्ली मेट्रो खुद 33 मेगावाट के करीब सौर ऊर्जा का उत्पादन करती है। यह मेट्रो डिपो, इमारतों के छतों से लगाएं गए सौर ऊर्जा संयंत्र से हुआ है। इस तरह अगर मेट्रो को सालान 300 मेगावाट बिजली की जरूरत है तो वह अब वह 44.33 फीसदी सौर ऊर्जा होगा। इसका प्रयोग मेट्रो परिचालन से लेकर लिफ्ट एस्केलेटर, लाइट से भी किया जाएगा। दिल्ली मेट्रो पहली बार अप्रैल 2019 में सौर ऊर्जा से परिचालन हुआ था। यह जवाहरलाल नेहरू से केंद्रीय सचिवालय के बीच हुआ था। यह सौर ऊर्जा रीवा पावर प्लांट से पहली बार आएं 27 मेगावाट सौर ऊर्जा के बदौलत संभव हुआ था। दिल्ली मेट्रो का मकसद सौर ऊर्जा नीति के तहत अगले कुछ वर्षों में अपना पूरा परिचालन सौर ऊर्जा पर स्थानांतरित करने का है। ऐसा होने पर दिल्ली मेट्रो दुनिया की पहली 100 फीसदी सौर ऊर्जा पर चलने वाली मेट्रो बन जाएगी।