सीएम डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को प्रदेश के 8वें टाइगर रिजर्व रातापानी का लोकार्पण किया। भोपाल, सीहोर और रायसेन जिले के युवाओं की ‘एक विरासत से विकास की अनूठी दौड़’ बाइक रैली में सीएम और एक्टर रणदीप हुड्डा ने खुद बुलेट चलाई। यह रैली भोपाल के कोलार रोड स्थित गोल जोड़ से शुरू होकर एकांत पार्क तक जाएगी।
कार्यक्रम के दौरान सीएम ने कहा, मुझे आज तक नहीं समझ आया कि टाइगर और लायन में जंगल का राजा लायन कैसे हो सकता है। जंगल का राजा तो टाइगर ही होता है। दोनों में मूल अंतर यह है कि टाइगर अपने भोजन के लिए खुद शिकार करता है।
टाइगर रोज शाम को 4 बजे अपने एरिया की निगरानी करता है कि कहीं कोई घुसपैठिया तो नहीं आया। उसके उलटा लायन की जिंदगी में वह अपने परिवार में विश्वास करते हैं। वे परिवार में अपनी मादाओं के साथ रहता है। वह अपना शिकार खुद नहीं करता। बाकी लोग शिकार करते हैं, वह खाता है।
इस दौरान सीएम ने फिल्म वीर सावरकर में रणदीप हुड्डा की एक्टिंग की तारीफ की। उन्होंने कहा- दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस से कई लोग आज भी उनके बारे में नादानी की बात करते हैं।
रणदीप हुड्डा ने भी चलाई बाइक कार्यक्रम के दौरान फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा ने कहा कि मैं कुरुक्षेत्र की धरती से आता हूं। जहां भगवान कृष्ण ने दुनिया को अन्याय के खिलाफ लड़ने की सीख दी थी। आज उस धरती पर आया हूं जहां भगवान ने शिक्षा ग्रहण की।
कार्यक्रम में CM मोहन यादव और रणदीप हुड्डा के साथ कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग, कृष्णा गौर और भाजपा प्रभारी मंत्री डॉ महेंद्र सिंह भी मौजूद रहे।
रातापानी में 96 बाघ रातापानी टाइगर रिजर्व एकमात्र लैंडस्केप बन गया है, जहां 96 बाघों ने उपस्थिति दर्ज कराई है। रातापानी टाइगर रिजर्व लैंडस्केप में वर्ष 2026 में होने वाली गणना में 150 से अधिक बाघ अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। 2026 तक प्रदेश में बाघों की संख्या 1100 के आसपास हो सकती है। इसका सर्वे रातापानी टाइगर रिजर्व से शुरू होगा। रातापानी में इस समय 12 से अधिक बाघिन शावकों के साथ मूवमेंट कर रही हैं। इनकी संख्या तकरीबन 30 है। ये शावक गणना तक वयस्क हो जाएंगे। बाघिनों के मूवमेंट वाले इलाके में 60 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं।
लैंडस्केप क्या है... हर टाइगर रिजर्व का एरिया होता है। बाघों की गणना के दौरान एक जोन चिह्नित किया जाता है, इसे लैंडस्केप कहते हैं। रातापानी का लैंडस्केप भोपाल से देवास तक है। इसे वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तय करता है।