1 जुलाई से लागू हुए 3 नए क्रिमिनल कानूनों को लेकर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कमेंट करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों का मुद्दा अभी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित है। इसलिए इस मामले पर कुछ भी बोलना ठीक नहीं होगा।
CJI मंगलवार (2 जुलाई) को दिल्ली में कड़कड़डूमा, शास्त्री पार्क और रोहिणी में तीन नई कोर्ट बिल्डिंग के शिलान्यास कार्यक्रम के लिए दिल्ली हाईकोर्ट परिसर पहुंचे थे। इसी दौरान उनसे नए कानूनों को लेकर सवाल किया गया था। इस पर उन्होंने कहा कि कोर्ट में आने वाले मामलों पर बोलना नहीं चाहिए।
दरअसल, देश में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे कानूनों की जगह 3 नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू हो गए हैं। इन्हें IPC (1860), CrPC (1973) और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह लाया गया है।
इन कानूनों के लागू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट में इन कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका लगाई गई थी, जिसे खारिज कर दिया था। इसके अलावा नए कानूनों के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने की एक जनहित याचिका भी दायर की गई है, जिस पर अभी सुनवाई नहीं हुई है। इसलिए CJI ने कहा कि कोर्ट में मामला लंबित है।
CJI की स्पीच की मुख्य बातें...
1. क्लाइमेट चेंज पर
इस साल दिल्ली में बहुत गर्मी पड़ी। हमने दो हीटवेव झेलीं। इसके बाद एक ही दिन में रिकॉर्ड बारिश का सामना किया। जलवायु परिवर्तन को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें अपने रोजमर्रा की जिंदगी में ग्रीन लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए। इससे कार्बन का उत्सर्जन कम होता है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि कोर्ट कई नई इमारतें पर्यावरण अनुकूल होंगी।
2. 1780 की राम कामति का जिक्र
1780 की राम कामति की कहानी हमें बताती है कि कठोर और आसान न्याय कानून के लिए अभिशाप है। राम कामति झूठे केस में फंसे थे। उन्हें दोषी भी ठहराया गया था। जेल में उन्हें टॉर्चर किया गया, जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी। हमारा कानून और संवैधानिक प्रणाली मूल रूप से न्याय, स्वतंत्रता और समानता पर आधारित है।
3. स्टीफन हॉकिंग का उदाहरण
कोर्ट की नई बिल्डिंग विकलागों के लिए सुलभ होनी चाहिए। मुझे याद आता है जब विकलागों के एक ग्रुप ने देश की ऐतिहासिक धरहरों तक आसानी से पहुंचने के इंतजामों की मांग की थी। एक बार स्टीफन हॉकिंग भारत आए थे। वे देश की कुतुब मीनार घूमना चाहते थे।
इसके लिए लकड़ी के रैम्प लगाए गए। उन्होंने कुतुब मीनार को छूकर एक विश मांगी। उन्होंने कहा कि मैंने विश मांगी है कि मेरे जाने के बाद भी रैंप यहां से नहीं हटाए जाएं, जिससे और विकलांग भी कुतुब मीनार आसानी से पहुंच सकें।
ये हैं सबसे बड़े बदलाव