पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को करीब 26,000 बर्खास्त शिक्षकों को राहत दी है। कोर्ट ने कहा- जिन शिक्षकों की नियुक्ति रद्द हुई है, वे नई चयन प्रक्रिया पूरी होने तक पढ़ाना जारी रख सकते हैं। हालांकि, उनका नाम 2016 के घोटाले मामले में नहीं आया हो। कोर्ट ने कहा- हम नहीं चाहते कि बच्चों की पढ़ाई कोर्ट के फैसले से बाधित हो।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा- बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) को 31 मई तक भर्ती प्रक्रिया का नोटिफिकेशन जारी करना होगा। 31 दिसंबर तक चयन प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। बंगाल सरकार और SSC को 31 मई तक भर्ती का विज्ञापन जारी कर उसका पूरा शेड्यूल कोर्ट को सौंपना होगा। अगर तय समय में प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो कोर्ट उचित कार्रवाई और जुर्माना लगाएगा।
हालांकि, ग्रुप C और ग्रुप D के नॉन टीचिंग स्टाफ के कर्मचारियों को राहत नहीं मिल है। कोर्ट ने कहा- इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों पर आरोप सिद्ध हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। हाईकोर्ट ने 2016 की भर्ती के 25,753 टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया था।
इधर, सुप्रीम कोर्ट से टीचरों को राहत दिए जाने के बाद सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि बर्खास्त शिक्षकों का कार्यकाल बढ़ाने के आदेश से वह खुश हैं। शिक्षकों से अनुरोध है कि वे चिंता न करें, समस्या का समाधान हो जाएगा।
6 दिन पहले को शिक्षकों ने प्रदर्शन किया था
शिक्षक भर्ती घोटाले में नौकरी गंवा चुके टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ 11 अप्रैल को सड़कों पर उतर आए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिन 25,753 टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को अवैध बताया गया, उनमें से कई ने कोलकाता के साल्ट लेक इलाके से स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) तक मार्च किया।
प्रदर्शनकारियों ने SSC परीक्षा की OMR शीट को सार्वजनिक करने की मांग की है, ताकि योग्य उम्मीदवारों की पहचान हो सके। प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाए और बहाली की मांग की। इससे पहले 10 अप्रैल को बर्खास्त कर्मचारियों ने पुलिस कार्रवाई के विरोध में भूख हड़ताल करने का ऐलान किया था। टीचर्स 9 अप्रैल की रात से ही पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।