भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आसानी से उपचार नहीं मिल पा रहा है। इसका कारण यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में डॉक्टर ही नहीं हैं। स्थिति यह है कि प्रदेश के 1440 पीएचसी में चिकित्सा अधिकारियों के 1946 पद स्वीकृत हैं।इनमें 542 पद रिक्त हैं। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा की ओर पिछले दिनों में लोकसभा में दी गई जानकारी में सामने आई है। हेल्थ डायनामिक्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने यह जानकारी दी है।
ग्रामीण क्षेत्रों की पीएचसी में डॉक्टरों की कमी के मामले में उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के बाद सबसे खराब स्थित मप्र की है। उत्तर प्रदेश में 4448 स्वीकृत पदों में 1621, बिहार में 4505 पदों में 1560 और महाराष्ट्र में 4926 में से 861 पर रिक्त हैं।
बता दें कि 30 हजार की ग्रामीण जनसंख्या पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया जाता है। इस हिसाब से प्रदेश के लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को उनके नजदीक उपचार नहीं मिल पा रहा है। उन्हें जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज या दूसरे निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है।
डॉक्टरों के नहीं होने से दूसरे संसाधनों का उपयोग नहीं हो रहा है। प्रत्येक पीएचसी में एक डॉक्टर के अतिरिक्त, एएनएम या नर्स, फार्मासिस्ट और चतुर्थ श्रेणी के पद होते है, पर वे बिना काम हैं।